Tuesday, January 22, 2019

हां शायद बदल गया हूं मैं

 हां शायद बदल गया हूं मैं

लोग कहते हैं बदल गया हूं मैं,
चुप और गुम-सा हो गया हूं मैं,
सब्र तो पाया लेकिन चिड़चिड़ा हो गया हूं मैं,
 हां शायद बदल गया हूं मैं।

क्योंकि अब मैं उसे याद नहीं करता,
उसके बारे में कोई बात नहीं करता,
उसके वापस आने का इंतजार नहीं करता,
मैं शायद तुमसे अब प्यार नहीं करता,
 हां शायद बदल गया हूं मैं।

क्योंकि उसको यह नहीं पता कि संभल गया हूं मैं,
दर्द आज भी चेहरे पर है,
लेकिन मुस्कुराना सीख गया हूं मैं,
आंसू को छुपाना सीख गया हूं मैं,
 हां शायद बदल गया हूं मैं।

क्योंकि अब बड़ा हो गया हूं मैं,
लोगों को समझना सीख गया हूं मैं,
मां बाप के प्यार का मतलब समझ गया हूं मैं,
 हां शायद बदल गया हूं मैं।

क्योंकि पहले कंचे, क्रिकेट, कबड्डी आदि
के पीछे भागता था,
अब जिम्मेदारी के पीछे भागता हूं मैं,
लोगों की बातें हैं बड़ी-बड़ी,
लेकिन सब को जानता हूं मैं ,
 हां शायद बदल गया हूं मैं।

@Gumnaam_Kalam
#GS_Writer
https://gumnaamkalam.blogspot.com

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