Gumnaam Kalam
Wednesday, July 17, 2019
आज फिर बोल पड़ा कलम, कहा खो गया बचपन।
आज फिर बोल पड़ा कलम, कहा खो गया बचपन।
गलियों में खुले सांड की तरह भागा करते थे,
किसी से भी लड़ जाया करते थे,
स्कूल ना जाने के कई बहाने बनाया करते थे,
रो-रो कर सब को मनाया करते थे,
आज फिर बोल पड़ा कलम, कहा खो गया बचपन।
पापा के स्कूटर पर, लोंगद्राईव पर जाया करते थे
मां से खूब पिटाई खाया करते थे
1 रुपयं के लिए सुबह दूध लाया करते थे
और उस रुपयों को जेब मे रख, सेठ बन जाया करते थे,
आज फिर बोल पड़ा कलम, कहा खो गया बचपन।
गुस्सा होने पर कट्टा-अब्बा कि, शहनाई बजाया करते थे,
कंचे और लट्टू खेलने में, खाना भूल जाया करते थे,
क्रिकेट के लिए सुबह 4 बजे जग जाया करते थे,
और दोस्तो के घर जाकर चिल्लाया करते थे,
आज फिर बोल पड़ा कलम, कहा खो गया बचपन।
वो भी क्या दिन थे, स्कूल में जब लम्बी चेन बनाते थे,
सब को बरफ - पानी में जमाते थे,
एक आजाद पक्षी की तरह कहीं भी उड़ जाते थे,
अब ना लौटेगा ये बचपन,
आज फिर बोल पड़ा कलम, कहा खो गया बचपन।
@Gumnaam_Kalam
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Tuesday, January 22, 2019
हां शायद बदल गया हूं मैं
हां शायद बदल गया हूं मैं
Haa Shaayad Badal Gaya Hu Me
Haa Shaayad Badal Gaya Hu Me
Thursday, January 10, 2019
मैं लेखक तो नहीं
शब्द नहीं है मेरे पास लेकिन शब्दों से खेलने का शौक रखता हूं,
जो आँसू भी नहीं बता पाते वो कलम बता देता है,
बस इस ही एहसास को बताने का शौक रखता हूं,
मैं लेखक तो नहीं लेकिन लिखने का शौक रखता हूं,
Me Lekhak To Nahi
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हां शायद बदल गया हूं मैं लोग कहते हैं बदल गया हूं मैं, चुप और गुम-सा हो गया हूं मैं, सब्र तो पाया लेकिन चिड़चिड़ा हो गया हूं मैं, ...